शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

उम्र की किताब

शुभो
उम्र की किताब के शुरूआती पन्ने बहुत धुंधले से हैं। लेकिन पैरों की एक हलकी सी छाप का निशाँ अभी भी उस घर की दहलीज के पास बना है। मम्मी कहती थीं ---- ये निशान तब का था जब वे और पापा मकान देखने आये थे----माँ ने सोचा, काश ये मकान उन्हें ही मिले---- संयोग से वही मकान उन्हें एलाट हो गया------और--- ताजे सीमेंट पर उनकी उम्मी की आमद दर्ज हो गई। बाद में कई बार मैंने उस निशान पर अपना पैर रख-रख के नापा कि अब मै कितनी बड़ी हो गई हूं----!
दूसरा सफा खुला----- तो देखती हूँ जीजी बीच वाले कमरे की दहलीज पर बैठी हुई रो रही थी। ----और मै हंस रही हूँ---! जीजी फिल्म देखने गई थी तो पापा ने उन्हें डाटा था। वो मुझे अपने साथ ले गई थीं। फिर बाद में जीजी ने मुझे सरसों के तेल में शहद मिला कर , जोर से -----बहुत जोर से, उबटन किया। में खूब रोई---- लेकिन जीजी ने कहा कि तुम गोरी हो गई हो---- तो मैं चुप हो गई थी। बीच की इबारत गायब हैं-----! विनीत भैया का स्कूल तालाब के किनारे था। दस पैसे वाला स्कूल कह कर चिढाते थे सब। भैया बहुत रोते थे----- एक दिन मैं भी गई उनके स्कूल। मास्साब ने दो का पहाडा पूछा। मैंने बताया----भइया की डांट पडी।

10 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रही किताब। पढ़ती पढ़ाती रहिए। ऐसे ही मन कभी उत्सवी, कभी करुणामय और कभी कसैला हो जाता है। कभी कभी अमिया की खटाई भी सिहरा जाती है।

    'कनुप्रिया शुभदा'।
    आप का नाम बहुत अच्छा है। ये नाम हमेशा शिखर पर रखना जानी ;)

    छोटी सी बात से बहुत उम्मीद बँधी है। कायम रखिएगा।

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  2. पढकर सुखःद एहसास हुआ.

    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

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  3. अहा...! बड़ा अच्छा लगा जी। आपको और आपके ब्लॉग को जानकर। नियमित रहने की कोशिश करिए। शुभकामनाएं।

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  4. पापा...जीजी...भैया...चुप्पी...
    और अब क्या खूब बोल रहीं है आप...

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  5. Bahut Barhia... Aapka Swagat Hai... Isi tarah likhte rahiye

    http://hellomithilaa.blogspot.com
    Mithilak Gap...Maithili Me

    http://mastgaane.blogspot.com
    Manpasand Gaane

    http://muskuraahat.blogspot.com
    Aapke Bheje Photo

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  6. kitab ki kavar to achchhi hai ab vishayvastu ka intajar rahega.Aasha hai ki aap ghatna kram ko vistar se sanjoyengi.
    Navnit Nirav

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  7. V.Nice
    -**-

    प्रिय मित्र,
    जश्ने-आजादी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज़ादी मुबारक हो.
    ----
    उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये.
    आभार.
    विजिट करें;
    उल्टा तीर
    http://ultateer.blogspot.com
    अमित के सागर

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  8. कमाल का शब्द संयोजन....या तो प्रकृति की देन हो...या विलक्षण प्रतिभा

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  9. बहुत सुन्दर कोमल मन की अभिवयक्ति साथ में बहुत सारी शुभकामनाये आप इस ब्लॉग जगत में नियमित लिखें

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