शुभो
उम्र की किताब के शुरूआती पन्ने बहुत धुंधले से हैं। लेकिन पैरों की एक हलकी सी छाप का निशाँ अभी भी उस घर की दहलीज के पास बना है। मम्मी कहती थीं ---- ये निशान तब का था जब वे और पापा मकान देखने आये थे----माँ ने सोचा, काश ये मकान उन्हें ही मिले---- संयोग से वही मकान उन्हें एलाट हो गया------और--- ताजे सीमेंट पर उनकी उम्मी की आमद दर्ज हो गई। बाद में कई बार मैंने उस निशान पर अपना पैर रख-रख के नापा कि अब मै कितनी बड़ी हो गई हूं----!
दूसरा सफा खुला----- तो देखती हूँ जीजी बीच वाले कमरे की दहलीज पर बैठी हुई रो रही थी। ----और मै हंस रही हूँ---! जीजी फिल्म देखने गई थी तो पापा ने उन्हें डाटा था। वो मुझे अपने साथ ले गई थीं। फिर बाद में जीजी ने मुझे सरसों के तेल में शहद मिला कर , जोर से -----बहुत जोर से, उबटन किया। में खूब रोई---- लेकिन जीजी ने कहा कि तुम गोरी हो गई हो---- तो मैं चुप हो गई थी। बीच की इबारत गायब हैं-----! विनीत भैया का स्कूल तालाब के किनारे था। दस पैसे वाला स्कूल कह कर चिढाते थे सब। भैया बहुत रोते थे----- एक दिन मैं भी गई उनके स्कूल। मास्साब ने दो का पहाडा पूछा। मैंने बताया----भइया की डांट पडी।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अच्छी रही किताब। पढ़ती पढ़ाती रहिए। ऐसे ही मन कभी उत्सवी, कभी करुणामय और कभी कसैला हो जाता है। कभी कभी अमिया की खटाई भी सिहरा जाती है।
जवाब देंहटाएं'कनुप्रिया शुभदा'।
आप का नाम बहुत अच्छा है। ये नाम हमेशा शिखर पर रखना जानी ;)
छोटी सी बात से बहुत उम्मीद बँधी है। कायम रखिएगा।
पढकर सुखःद एहसास हुआ.
जवाब देंहटाएंचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
welcome at Chttha Jagat... Likhte rahiye...
जवाब देंहटाएंअहा...! बड़ा अच्छा लगा जी। आपको और आपके ब्लॉग को जानकर। नियमित रहने की कोशिश करिए। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंपापा...जीजी...भैया...चुप्पी...
जवाब देंहटाएंऔर अब क्या खूब बोल रहीं है आप...
Bahut Barhia... Aapka Swagat Hai... Isi tarah likhte rahiye
जवाब देंहटाएंhttp://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap...Maithili Me
http://mastgaane.blogspot.com
Manpasand Gaane
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo
kitab ki kavar to achchhi hai ab vishayvastu ka intajar rahega.Aasha hai ki aap ghatna kram ko vistar se sanjoyengi.
जवाब देंहटाएंNavnit Nirav
V.Nice
जवाब देंहटाएं-**-
प्रिय मित्र,
जश्ने-आजादी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज़ादी मुबारक हो.
----
उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये.
आभार.
विजिट करें;
उल्टा तीर
http://ultateer.blogspot.com
अमित के सागर
कमाल का शब्द संयोजन....या तो प्रकृति की देन हो...या विलक्षण प्रतिभा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कोमल मन की अभिवयक्ति साथ में बहुत सारी शुभकामनाये आप इस ब्लॉग जगत में नियमित लिखें
जवाब देंहटाएं